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Channel: भजन - कीर्तन - आरती
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भजन : जय जय जगदीश्वरी माँ

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यह रचना - "सर्वेश्वरी जय जय जगदीश्वरी माँ", मेरे परम प्रिय मित्र एवं गुरुभाई श्री हरि ओम् शरण जी" के एक पुरातन भजन की धुन पर आधारित है.



सर्वेश्वरी, जय जय जगदीश्वरी माँ, तेरा ही एक सहारा है 
तेरी आंचल की छाहँ छोड़ अब नहीं कहीं निस्तारा है  
सर्वेश्वरी जय जय ------------

मैं अधमाधम, तू अघ हारिणी ! मैं पतित अशुभ, तू शुभ कारिणी
हें ज्योतिपुंज, तूने मेरे मन का मेटा अंधियारा है !!
सर्वेश्वरी, जय जय --------------

तेरी ममता पाकर किसने ना अपना भाग्य सराहा है
कोई भी खाली नहीं गया जो तेरे दर पर आया है !!
सर्वेश्वरी, जय जय --------------

अति दुर्लभ मानव तन पाकर आये हैं हम इस धरती पर,
तेरी चौखट ना छोड़ेंगे ,अपना ये अंतिम द्वारा है !!
सर्वेश्वरी, जय जय ---------

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रचनाकार एवं गायक "भोला "

See Video on youtube at
http://www.youtube.com/watch?v=ZCPEhHrNV2w



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